भूमि का चयन ऐसी भूमि जिसका पी. एच. 6.5 - 7.5 के बीच हो तथा दोमट भूमि इस फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

खेत की तैयारी - खरीफ की फसल की कटाई के बाद एक बार मिट्टी पलट हल से जुताई करनी चाहिए

जलवायु एवं बुवाई का समय - इस फसल पर प्रतिकूल मौसम का असर अत्यधिक पड़ता है.

बीज दर एवं बुवाई की विधि -  मसूर की बुवाई कतारों में करनी चाहिए तथा 2 कतारों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.

मृदा उपचार- मसूर में मृदा जनित रोगों से बचने की लिए गर्मियों में गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए

बीज शोधन - 2 ग्राम थिरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम 2:1 की अनुपात में मिलाकर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर छाया में सुखाएं.

खाद एवं उर्वरक - 100 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी हुई खाद प्रयोग करें

मसूर के लिए जल प्रबंधन - अगर मसूर की फसल धान की कटाई के बाद ली गए है

खरपतवार रोकथाम - मसूर की फसल में बुवाई के 30 से 35 दिन बाद क्रांतिक अवस्था आती है

रोग एवं कीट नियंत्रण -   मसूर में लगने वाली प्रमुख बीमारियां निम्नलिखित हैं