हमारे दैनिक जीवन में हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान है, हल्दी मसाले वाली फसल है, इसका अनेक रूपों में उपयोग किया जाता है.
औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेदिक दवाओं में इसका उपयोग किया जाता हैं
भूमि: हल्दी की खेती हेतु रेतीली और दोमट भूमि अधिक उपयुक्त होती है.
भूमि की तैयारी: हल्दी गर्म तथा नम जलवायु युक्त उष्ण स्थानों में होती है.
खाद एवं उर्वरक (manures and fertilizers) लंबे समय की फसल होने के कारण इसको अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता होती है.
उपज (Yield) अनुसंधान के बाद यह देखा गया है कि मेडो पर उगाने से हल्दी की पैदावार अधिक होती है.
निंदाई- गुडाई (blasphemy) हल्दी में निदाई-गुडाई का विशेष महत्व हैं, बोआई के बाद 3 से 4 माह प्राय हर माह निदाई-गुडाई करना तथा मिट्टी चढाना आवश्यक है
कीट व्याधि (Insect disease) हल्दी में कीट व्याधियों एवं बीमारियों का प्रकोप कम होता है.
हल्दी फसल बुआई के लगभग 7 से 9 माह में पक्कर तैयार हो जाती है
हल्दी का संसाधन करने के लिए अच्छी तरह प्रकंदो को साफ कर रात भर पानी में भिगोने के बाद पानी से साफ कर ले.