भारत में अक्सर किसान पारंपरिक फसलों को ही उगाते हैं. लेकिन आज के समय में पारंपरिक फसलों में मुनाफ़ा कम होने के कारण लोगों का इससे मोहभंग होता जा रहा है
इन फूलों का शादी या अन्य दूसरे समारोह में सजावट करने के लिए उपयोग किया जाता है.
जरबेरा की खेती करने का तरीका जरबेरा एक बहुत ही महंगा और बाज़ार में आसानी से न मिलने वाला एक फूल है और इसकी फसल में अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए ज़मीन को कुछ इस प्रकार से तैयार कर सकते हैं:
– सबसे पहले इसके लिए हल्की क्षारीय और उपजाऊ किस्म की भूमि का चयन करना चाहिए . – और उसके बाद उस खेत की कम से कम चार बार जुताई करनी चाहिए.
– मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए गोबर की खाद के साथ-साथ नारियल का भूसा भी मिलाना जरुरी है. – पौधों की रोपाई करते समय ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 30 से 40 सेमी की होनी चाहिए.
जरबेरा की इन किस्मों को लगाना चाहिए जरबेरा लोगों को आकर्षित करने वाला एक ऐसा फूल है जिसकी मांग सिर्फ इंडिया में ही नहीं पूरे विश्व में साल भर बनी रहती है.
आपको इसकी खेती करते समय एक बात का और ध्यान रखना चाहिए कि इसकी मुख्य किस्में जैसे- लॉस डाल्फिन, सेंट्रल ओलंपिया, नवादा,कोरमॉरोन या फिर हाइब्रिड किस्मों में रूबी रेड, डस्टी, शानिया, साल्वाडोर, तमारा, फ्रेडोरेल्ला, वेस्टा, रेड इम्पल्स, आदि प्रमुख किस्मों को ही लगाएं.
जरबेरा की ख़ासियत जरबेरा एक बर्ष में कई प्रकार के फूल देता है इसकी खासियत यह है कि इसमें पहले दो महीनों में बहुत ज़्यादा तादाद में कलियां आती हैं
इन कलियों को आपको तोड़ते रहना चाहिए. इन कलियों को तोड़ते रहने से यह होता है कि जब तीन महीने पूरे हो जाते हैं तो बड़े पैमाने पर यह फसल तैयार होती है
एक एकड़ में जरबेरा का बीज इतना लगता है एक एकड़ में लगभग 28 हजार जरबेरा के बीजों की जरूरत होती है. वैसे तो जरबेरा की खेती के लिए वसंत ऋतु का मौसम उपयुक्त माना जाता है