मसूर के 100 ग्राम दानों में औषतन 25 ग्राम प्रोटीन, 1.3 ग्राम वसा, 60.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 3.2 ग्राम रेशा, 65 मिलीग्राम कैल्शियम, 7 मिलीग्राम आयरन, 0.21 मिलीग्राम राइबोफ्लोविन आदि पौषक तत्व पाए जाते हैं
इसके गुणों के कारण चिकित्सक मसूर के सेवन को रोगनाशी मानते हैं
मसूर बोने का सही समय, खेत की तैयारी और बुवाई की विधि यह रबी सीजन की फसल है
मसूर की खेती के लिए दोमट या नमी सोखने वाली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है.
खाद एवं उर्वरक का सही प्रयोग मसूर की बढ़िया पैदावार प्राप्त करने के लिए सही मात्रा में खाद देना अत्यंत आवश्यक है.
सके लिए रासायनिक उर्वरक के तौर पर 40 किग्रा फास्फोरस, 15-20 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा पोटाश और 20 किग्रा सल्फर का प्रति हेक्टेयर छिड़काव बीज बुवाई के समय करें.
सिंचाई का समय और प्रणाली मसूर के बीज कम नमी में भी अंकुरित हो सकते हैं.
खरपतवार और रोग नियंत्रण मसूर की फसल को खरपतवार और रोगों से बचाना बहुत जरूरी होता है.
खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान खुरपी से गुड़ाई करें.
बुवाई के लिए की बेहतरीन किस्में नरेंद्र मसूर-1, पूसा-1, पंत एल-406, नूरी(आईपीएल-81), मलिका(के-75), सपना, पंत एल-639 मसूर की किस्में बढ़िया उपज के लिए जानी जाती हैं
प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल मसूर की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.