Farming of Potato – आलू की खेती लगने वाले कौन कौन से रोग है।

Farming of Potato
आलू Potato एक ऐसी सब्जी है जो सबको पसंद आती हैं ऐसे में आलू की खेती किसानो के लिए बहुत लाभकारी हैं। आलू महंगा हो या सस्ता इसका प्रयोग सब करते हैं। आलू की खेती रबी या शरदऋतु के मौसम में की जाती है।
आलू Potato की उपजने की क्षमता समय के मुताबिक सभी फसलों से ज्यादा है इसलिए इसको अकाल नाशक कहते हैं। ये पोषक तत्वों का भण्डार है, जो बच्चों के साथ साथ बूढे तक को पोषण देता है। आलू Potato को अच्छे पोष्टिक आहार के रूप में माना जाता है। आइए जानते हैं आलु की खेती सही ढंग से कैसे करे।

आलू रोपने का सही समय
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हस्त नक्षत्र के बाद और दीवाली तक आलू रोपने का सही समय है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर दिसम्बर के आखिरी सप्ताह तक आलू Potato की रोपनी की जाती है। लेकिन उपज को अधिक बनाने के लिए 5 नवम्बर से 20 नवम्बर के बिच ही सिंचाई के कार्य को पूरा कर लें।
बीज दर क्या रखे
बीज दर की बात करे तो आलू का दर कंद के वजन, दो पंक्तियों के बीच दूरी और हर लाइन में दो पौधों के बीच की दूरी से तय होता है। हर कंद 10 ग्राम से 30 ग्राम तक वजन वाले आलू की रोपनी करने पर निर्भर हैं। 10 क्विंटल से लेकर 30 क्विंटल तक आलू Potato के कंद की आवश्यकता पड़ती है।
बीजोपचार
शीत-भंडार से आलू निकाल कर उसे त्रिपाल या फर्श पर हवादार जगह में फैलाकर एक सप्ताह तक जरूर रखना चाहिए। और उसमे से सड़े एवं कटे कंद को रोजाना निकालते रहना चाहिए। जब इसके कंद में अंकुरण निकलना शुरु हो जाय उसके बाद रासायनिक बीजोपचार के बाद ही रोपनी करनी प्रहभ करे।
रोपने की दूरी क्या हो:-
आलू Potato के दो पंक्तियों के बीच में दूरी 40 सें.मी. से लेकर 600 सें.मी. तक ही रखें लेकिन, मक्का में आलू की खेती के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 60 सें.मी. रखें।
यदि आपको ईख में आलू Potato की खेती करनी हैं तो ईख की दो पंक्तियों के बीच की दूरी को देखते हुऐ ईख के दो पंक्तियों के बीच में 40 सें.मी. से 50 सें.मी. की अंतराल पर ही आलू की दो पंक्तियाँ रखनी चाहिए। छोटे कंद की आलू को 15 सें.मी. की दूरी तथा बड़े कंद को 20 सें.मी. की दूरी पर रोपनी चाहिए।
आलू रोपने की विधि
आलू रोपने के समय ही उसके ऊपर मिट्टी चढ़ाकर लगभग 15 सें.मी. ऊँचा बना दिया जाता है तथा उसे हल्का हल्का थप-थपा कर उसके ऊपर के मिट्ठी को दबा दिया जाता है ताकि मिट्टी की नमी बरकरार रहे तथा हमे सिंचाई करने में भी सुविधा मिले।
बता दे, जिनके पास सुविधा हो तो वो बड़े खेत में पोटेटो प्लांटर से भी रोपनी कर सकते है। इसके सहायता से समय एवं श्रम दोनों की बचत की जा सकती है। और ये उपज को भी नुकसान नहीं पहुंचाता हैं।
अगर आप आलू के साथ में मक्का लगाना चाहते है तो आलू की मेड ठीक से नीचे सटाकर आलू रोपनी करने के पाँच दिन के अंदर ही खुरपी से 30 सें.मी. की दूरी पर मक्का बीज की रोपाई भी कर दें।
ऐसा करने से आलू के सिंचाई में भी आपको किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। मक्का-आलू साथ में लगाने पर मक्का के लिए जायदा तथा आलू के लिए थोड़ा कम खाद की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए ऐसा करने से दोनो की ग्रोथ में दिकत नहीं आयेगी।
मक्का-आलू साथ लगाने पर एक ही खेत से एक ही साथ में और कम से कम लागत में आपको दोनों फसल की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही आलू का क्षेत्रफल भी बढ़ सकता है। वही आपके बचे हुए खेत में दूसरी फसल लगायी जा सकती है। जिसे आपको अधिक मुनाफा हो सकता हैं।
रोग

आलू Potato के अंदर यह रोग खास करके लगता है जिसका नाम है विषाणु एक्स (पी.वी.एक्स)।
आइए जानते हैं कि आखिरकार इसके लक्षण क्या-क्या है जिससे कि आप समय रहते ही इस को दूर भगा सकते हैं और अपनी फसल को बचा सकते हैं।
सबसे पहला लक्षण हल्के रंग से गहरे हरे रंग की चितकबरेपन की चकती के साथ पत्तियों में
हल्के से मध्यम उग्रता वाला चितकबरापन दृष्टिगोचर होता है ।
सामान्य हरे रंग के साथ इधर उधर फैला रहता है।
सिंचाई कैसे करे:-
हिंदी में एक कहावत कहा जाता है – आलू एवं मक्का दोनो ही पानी चाटते है – पीते नही है। इसलिए इसमें एक बार में कम पानी देना और अंतराल पर देना अधिक उपज के लिए लाभदायक हो सकता है।
क्युकी इन की रोपनी में खाद की मात्रा अधिक रखी जाती है इसलिए रोपनी के 10 दिन बाद लेकिन 20 दिन के अंदर अंदर ही प्रथम सिंचाई अवश्यक रुप से करनी चाहिए।
ऐसा करने से अकुरण जल्दी होगा तथा प्रति पौधा कंद की संख्या में भी बढ़त हो जाती है जिसके कारण उपज में दो गुणी अधिक वृद्धि हो जाती है। प्रथम सिंचाई समय पर करने से खेत में डाले गए खाद का उपयोग फसलों द्वारा शुरुवात से ही जरूरत के अनुसार होने लगता है।
2 सिंचाई करने के बिच का वक्त खेत की मिट्टी की हालत एवं अपनी अनुभव के आधार पर अपने हिसाब से घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
लेकिन फिर भी 2 सिंचाई के बीच का अंतर 20 दिन से अधिक का न रखें। खुदाई के 10 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर दें। ऐसा करने से खुदाई के वक्त कंद स्वच्छ एवम साफ़ निकलेंगे।
उपज का अनुमान:-
परिपक्वता के बीच एवं अनुशंसित फसल पनियमो को अपनाने पर रोपनी करने के 60 दिन बाद 100 क्विंटल, 75 दिन बाद 200 क्विंटल, 90 दिन बाद 300 क्विंटल तथा 105 दिन बाद 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जाती है।
लेकिन अगर प्रथम सिंचाई आप रोपनी के 10 दिन बाद तथा 20 दिन के अंदर नहीं करते है तो इस उपज की आधी उपज होनी भी मुश्किल हो जायगी।
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