27 वर्षीय मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) बेहद गरीब परिवार से आती हैं.
कभी वह अपने भाई बहनों के साथ जंगल में लकड़ियां बीनने जाती थीं.
महज 12 साल की उम्र में मीराबाई अपने बड़े भाई से ज्यादा वजन उठाने लगी थीं
तब वह जलावन के लिए जंगल से लकड़ियों का गट्ठर घर लाया करती थीं.
मीराबाई जब कक्षा आठवीं में पढ़ती थीं तब किताब में वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी के बारे में पढ़ीं.
उसके बाद उन्होंने भारोत्तोलन में किस्मत आजमाने की ठानी.
उस समय किसको पता था कि एक दिन यह लड़की देश की बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन जाएगी.
मीराबाई ने बचपन में जो लकड़ियां उठाने का अभ्यास किया वह भविष्य में उनके काम आया और आज वह देश ही नही बल्कि विदेश में भी अपना लोहा मनवा रही हैं
मीराबाई चानू मणिपुर की राजधानी इंफाल के नोंगपोक गांव से आती हैं.
मीराबाई का गांव उनकी अकादमी से लगभग 25 किलोमीटर दूर था, जहां उन्हें प्रैक्टिस के लिए जाना पड़ता था.
मीराबाई छह भाई बहनों में सबसे छोटी हैं. वह अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थीं.