कथावाचक जया किशोरी ने कहा कि शादियां समझौतों से नहीं चलती हैं. ये आगे जाकर टूटेंगी. शादियां जो हैं वह एडजस्टमेंट से चलती हैं.
एडजस्टमेंट का मतलब छोटी-छोटी आदतें, जैसे एक-दूसरे की पसंद को अपनाने की कोशिश करना.
लेकिन समझौते का मतलब होता है कि आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जो आप अनकंफर्टेबल करता है. इससे शादियां लंबी नहीं चलती हैं.
जया किशोरी ने ये भी कहा कि प्रेम किसी से भी निस्वार्थ होना चाहिए.
अगर आप किसी से या कोई आपसे किसी मतलब से प्यार कर रहा है तो वह प्यार तभी तक है जब तक मतलब नहीं निकल जाता.
इसलिए जब भी किसी से प्यार करें तो निस्वार्थ भाव से प्यार करें.
प्रेम के बारे में समझाते हुए जया किशोरी कान्हा और गोपियों के प्रेम का उदाहरण भी देती हैं
जया किशोरी ने कहा कि जब श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर चले गए तब गोपियां कहती हैं कि कारो यानी श्रीकृष्ण को छोड़ा जा सकता है पर उनकी बात ही करना बंद कर दें ऐसा नहीं हो सकता है. यही सच्चा प्रेम है.
प्यार और अटैचमेंट में फर्क बताते हुए जया किशोरी ने कहा कि ऊपर से सामने वाले को देख लिया तो वह कितने दिन तक अट्रैक्टिव रहेगा.
1 महीना-2 महीने या कुछ साल, लेकिन उसके बाद यही मैटर करता है कि वो इंसान कैसे बोलता है