आलू में स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन-सी और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं

इसे ‘अकाल नाशक’ फसल भी कहा जाता है,

भूमि का चयन और खेत की जोताई आलू क्षारीय मिट्टी को छोड़कर किसी भी मिट्टी में बोया जा सकता है.

हालांकि विशेषज्ञ आलू की खेती के लिए बुलई या दोमट मिट्टी को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं.

खाद एवं उर्वरक का प्रयोग आलू की फसल बढ़ने के लिए मिट्टी की ऊपरी सतह से ही पोषक तत्व प्राप्त करती है.

आलू के बीज रोपने का समय और सही तरीका दीपावली के बाद दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक आलू की फसल को बोया जा सकता है.

आलू के बीज बोते समय उनके बीच की दूरी का हमेशा ध्यान रखें.

‘आलू पानी चाटता है पीता नहीं है’ आलू की फसल की थोड़े-थोड़े अंतराल पर कम पानी से सिंचाई करते रहना आवश्यक है

कीट और रोग प्रबंधन आलू की फसल को एक ओर खरपतवार लगने का खतरा होता है

तो दूसरी ओर कीट-पतंग और अन्य बीमारियां लगने की संभावना होती है.

लेकिन वैज्ञानिक अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कुफरी गंगा, कुफरी मोहन, कुफरी नीलकंठ, कुफरी पुखराज, कुफरी संगम, कुफरी ललित, कुफरी लीमा, कुफरी चिप्सोना-4, कुफरी गरिम को अच्छा मानते हैं.