रेशम उद्योग में रोजगार की काफी अच्छी संभावनाएं रहती हैं. पिछले कुछ सालों में भारत में रेशम उद्योग में काफी बढ़ोतरी हुई है

भारत में मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मूंगा जैसे रेशम की किस्मों का उत्पादन किया जाता है.

इन कीटों को पालने के लिए अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है.

खेती का तरीका रेशम की खेती के लिए एस से दो एकड़ खेत में रेशम के कीट के लिए शहतूत की पत्तियों की व्यवस्था कर दें.

शहतूत की पत्तियां ही इनका भोजन होती हैं,

शहतूत की रोपाई शहतूत के पौधों को क्यारियों में लगाना चाहिए

इन क्यारियों में बीच की दूरी 6 इंच रखनी चाहिए.

खाद पौधों को लगाने के लगभग 2 से 3 महीने के बाद खाद और उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए.

पौधे लगाने के ठीक 3 महीने के बाद हल्की निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए.

सिंचाई मानसून के दौरान लगाये गये पौधों में प्राकृतिक वर्षा के कारण सिंचाई की कम आवश्यकता होती है.