बसन्तकालीन बिजाई मध्य फरवरी से मार्च के अन्त तक की जा सकती है तथा शरदकालीन बिजाई सितम्बर के दूसरे पक्ष से अक्टूबर के पहले पक्ष तक.
बीज की मात्रा:
लगभग 35-45 क्विंटल बीज गन्ना प्रति एकड़ की बिजाई के लिए इस्तेमाल करें.
बीज का उपचार:बिजाई से पहले गन्ने के बीज पोरियों को कार्बेन्डाजिम के घोल में पाँच मिनट तक डुबोकर उपचार करें (100 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 100 लीटर पानी में घोलकर 35 क्विंटल बीज गन्ना).
खेत की तैयारी:खेत तैयार इस प्रकार की जाये कि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और खेते में ढेले बिल्कुल न रहें. बिजाई के लिए 2-2.5 फुट पर खूड़ बनाएं.
खाद कितनी, कब और कैसे:मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करने से कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सकती है.
निराई गुडाई:बिजाई के 7-10 दिन बाद गुडाई करके सुहागा लगा दे. खरपतावार की स्थिति के अनुसार 2-3 बार गोडाई करनी चाहिए.
रासायनिक खरपतार नियंत्रण:गन्ने के खेत में मोथा, दूब, संकरी एवं चौडी पत्ती वाले घास एवं बरू खरपतवार होते है.
बंधाई:
अगस्त एवं सितम्बर के महीने में गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बंधाई करनी चाहिए.