संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) राज्य की केरल हरित मिशन परियोजना ने गन्ने की नई किस्म का सफल परीक्षण किया है.
गन्ने की सीओ-86032 किस्म में सूखे और कीटों से हमलों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है.
जिसमें कम गुलियों, कम पानी, उर्वरकों का कम प्रयोग कर फसल में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने की गुलियों का उपयोग करके सीओ-86032 किस्म की खेती की जाती रही है.
मरयूर के एक गन्ना किसान पीएन विजयन का कहना है कि परीक्षण में एकड़ भूमि से 55 टन गन्ना की पैदावार की गई है
सामान्य तौर या पारंपरिक खेती से ये उपज महज 40 टन होती है और इसके लिए किसानों को 30 हजार गन्ना की ठूंठों की आवश्यकता होती है.
हालांकि, इस विधि में हमने केवल 5 हजार पौध से ही 55 टन गन्ना प्राप्त किया है.
प्रति एकड़ गन्ने की उपज के लिए किसानों को 18 हजार रुपये के गन्ने के गुलियां लने पड़ती हैं
जबकि पौधे की लागत आधी लगभग 7.5 हजार रुपये से भी कम है.
केरल की मरयूर और कंथलूर ग्राम पंचायत में बड़ी संख्या में किसान गन्ने की खेती करते आ रहे हैं
मरयूर का गुड़ अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है