इस बार मानसून की अनियमितता के कारण कई राज्यों में किसानों को सरसों की जल्द पैदावार देने वाली किस्म तोरिया की खेती करने की सलाह दी जा रही है।

तोरिया की खेती से अतिरिक्त कमाई करें किसान तोरिया जैसी कम फसलों की बुवाई करके किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है।

तोरिया की उन्नत प्रजातियां तोरिया की संगम किस्म 112 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।

बीज की मात्रा व बीजोपचार  सिंचित क्षेत्रों में तोरिया के बीजों की बुवाई के लिए प्रति एकड़ सवा किलो बीज पर्याप्त रहता है।

तोरिया की बुवाई का तरीका तोरिया के बीजों की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. और बीज की गहराई चार से पांच सेमी रखनी चाहिए

खाद व उर्वरक की मात्रा किसानों को तोरिया की खेती में खाद व उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के अनुसार करना चाहिए

कीट व रोग नियंत्रण तोरिया में अगेती सिंचाई नहीं करनी चाहिए। सिंचाई हमेशा फूल व फलियां बनते समय ही करनी चाहिए।

तोरिया कटाई और उपज तोरिया की कटाई फलियां पकने पर ही करनी चाहिए, क्योंकि हरी फलियां काटने पर दाना चिपक जाता है

तोरिया में तेल की मात्रा तोरिया में 44 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है। जबकि राया सरसों में केवल 40 प्रतिशत ही तेल की मात्रा होती है

तोरिया की खेती के लाभ (Toria cultivation) – तोरिया की फसल कम समय में तैयार हो जाती है। इसकी फसल 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

तोरिया की खेती में ध्यान रखने वाली बातें (Toria ki kheti) – 2-3 सामान्य तौर पर इसकी खेती के लिए 2-3 जुताई करनती पड़ती है लेकिन रोटावेटर से एक जुताई में ही खेत बुआई के लिए तैयार हो जाता है।