विश्व की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है साथ ही साथ बहुत बड़ी तादात में लोग कृषि छोड़कर बड़े शहरों की और पलायन कर रहे है ।
वर्टीकल खेत बनावट वर्टीकल फार्मिंग (खड़ी खेती) में पौधों को बहुसतही ढांचों में उगाया जाता है। यह तकनीक प्रायः नियंत्रित वातावरण में होता है
ऐरोपोनिक्स तकनीक में किसी भी माध्यम की जरुरत नहीं होती । इसमें पौधों की जड़ो को किसी सहारे के साथ बांधा जाता है ।
मछलियों का मल पौधों को जैविक खाद उपलब्ध करता है और साथ ही साथ पौधे मछलियों के लिए जल को फिल्टर व शुद्ध करने का काम करती है ।
भारत में ७०% लोग कृषि पर आधारित है । जिसमे वो सभी तरह की खेती करते है । इनमें फल, फूल, अनाज, सब्जियां इत्यादि सम्मिलित है ।
नई दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में मिट्टी- रहित व कीटनाशक- रहित खेती कर वर्टीकल फार्मिंग का अच्छा परिणाम मिला है ।
भारत में धीरे-धीरे इस तकनीक को लोगो तक पहुचाया जा रहा है ताकि लोग कृषि की नयी तकनीक सीख अच्छा उत्पादन कर सकें ।
वर्टिकल फार्मिंग के फायदे – यह एक बहुत ही उच्च उत्पादक खेती है प्रति इकाई क्षेत्र से लगभग 70-80 प्रतिशत अधिक फसल उत्पाद आता है।
वर्टिकल फार्मिंग के नुकसान – वर्टीकल फार्मिंग प्रणाली की स्थापना के लिए प्रारंभिक उच्च लागत ही प्रमुख समस्या है।
– खेती भवनों के चारों ओर कचरे के ढेर, पौधे के अवशेष आदि को ठीक से निपटाने की जरूरत है।
निष्कर्ष और भविष्य की गुंजाइश वर्टिकल फार्मिंग निश्चित रूप से भारतीय खेती में महत्वपूर्ण समस्याओं का हल है, जैसे कि खेत की उपज की आपूर्ति या निरीक्षण, कीटनाशकों के अति प्रयोग, उर्वरकों का अति प्रयोग, कमजोर मिट्टी और यहां तक कि बेरोजगारी।