Petrol Diesel Price : तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल पर हो रहे घाटे को कम करने के लिए थोक में डीजल की खरीदी पर 25 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की है। सूत्र के अनुसार ये बढ़ोतरी सिर्फ थोक खरीदारों जैसे बस ऑपरेटरों और मॉल आदि में उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले डीजल पर की गई है। वहीं रिटेल प्राइज में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
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तेल कंपनियों के अनुसार इससे पेट्रोल पंपों पर बिक्री लगातार पांचवे महीने बढ़ी है। क्योंकि सस्ते में डीजल खरीदने के लिए बस ऑपरेटरों और मॉल जैसे थोक उपयोगकर्ता पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे टैंकर बुक करने की बजाय पंप (फ्यूल डीलर) से डीजल खरीद रहे हैं।
इससे पेट्रोलियम कंपनियों का नुकसान और बढ़ा है। इस नुकसान से निपटने के लिए कंपनियां अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं।
Petrol Diesel Price : मुंबई में 94 रुपए का डीजल 122 में
Petrol Diesel Price मुंबई में थोक खरीदारों के लिए डीजल की कीमत बढ़कर 122.05 रुपए प्रति लीटर हो गई है। वहीं यहां पेट्रोल पंपों पर डीजल 94.14 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है।
ऐसे में थोक खरीदारों को डीजल के लिए प्रति लीटर 28 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं दिल्ली में पेट्रोल पपों पर डीजल 86.67 रुपए प्रति लीटर है जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपए प्रति लीटर है।
सबसे ज्यादा नुकसान नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल को
सबसे ज्यादा नुकसान नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसे निजी रिटेल डिस्ट्रिब्यूटर्स को हुआ है। 2008 में सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) रिटेल डीलर्स को कम कीमत पर पेट्रोल और डीजल Petrol Diesel Price बेचने के लिए सरकार ने सब्सिडी दी थी, लेकिन प्राइवेट रिटेल डीलर्स को ऐसी योजना से बाहर रखा गया था।
इस बार PSU रिटेल डीलर्स को इन्वेंट्री में हुए फायदे और हाई रिफाइनिंग मार्जिन से अपने नुकसान की भरपाई करने को कहा गया है जो वे अभी कमा रहे हैं। लेकिन प्राइवेट रिटेल डीलर्स जैसे नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसी कंपनियों के पास खुदरा घाटे की भरपाई के लिए रिफाइनरियां नहीं हैं। इसी के चलते उन्हें ज्यादा नुकसान हो रहा। ऐसे में पंप बंद करना ही इसके पास आखिरी ऑप्शन रह जाता है।
रिलायंस ने डीजल की सप्लाई घटाई
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपने फ्यूल डीलर्स को Petrol Diesel Price डीजल सप्लाई में 50% कटौती के लिए कहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कंपनी को इसकी बिक्री पर 10-12 रुपए प्रति लीटर का घाटा हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने गुरुवार से डीजल की सप्लाई को आधा करने का निर्णय बुधवार की रात एक बैठक में लिया।
जियो-बीपी के एक डीलर ने बताया कि एरिया मैनेजर ने सूचित किया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ दिसंबर 2021 में मेरे द्वारा बेचे गए Petrol Diesel Price डीजल वोल्यूम में से केवल आधे की सप्लाई करेगी। वे दिसंबर को बेंचमार्क मानकर चल रहे हैं।
क्या तेल कंपनियों को वाकई घाटा हो रहा है?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब बने हुए हैं। वहीं तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है।
लेकिन तब से लेकर अब तक कच्चा तेल 30 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा महंगा हो गया है। इसी के चलते थोक खरीदारों के लिए डीजल महंगा किया गया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड प्रशांत वशिष्ठ के मुताबिक, कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं। ऐसे में तक से लेकर अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें 15 रुपए तक बढ़ सकती थीं। इसके अलावा इस रिपोर्ट के अनुसार तेल कंपनियों को घाटे से निकलने के लिए 12 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी करनी होगी।
Petrol Diesel Price सभी के लिए क्यों नहीं बढ़ रहे दाम?
भले ही सरकार ये कहती हो कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर अब उसका कंट्रोल नहीं है लेकिन ये देखा जाता है कि चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ते हैं। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। वहीं इस साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं।
इसके बाद 2023 में राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में सरकार महंगाई के मोर्चे पर खुद को नाकाम होने से बचाने के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने दे रही। इससे तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है सरकार
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है।
केंद्र सरकार ने कोरोना की पहली लहर में दो बार में पेट्रोल-डीजल पर लगले वाली एक्साइज ड्यूटी में 15 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। हालांकि इसके बाद 3 नवंबर को पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी।
कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
जून 2010 तक सरकार Petrol Diesel Price पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया।
इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, Petrol Diesel Price पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।