Chaitra Navratri 2022 : नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और इस दिन ज्यादातर घरों में कन्या पूजन भी किया जाता है।
कुछ लोग अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन इस तिथि को व्रत रखने के कारण ज्यादातर घरों में नवमी के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद कन्या पूजन किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि कंजक पूजा की परंपरा हमारे समाज में कई सालों से चली आ रही है। मान्यता है कि बिना कंजक पूजा के नवरात्रि का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है और माता की कृपा भी अधूरी रह जाती है।
कंजक पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं को बैठाकर उनको दुर्गा स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है। इसी परंपरा को कुमारी पूजन के नाम से भी जाना जाता है।
Chaitra Navratri 2022 पुराणों में ये है उल्लेख
स्कंद पुराण के अनुसार, 2 वर्ष की कन्या को कुमारी, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ती, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी, 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या को कालिका, 7 वर्ष की कन्या को चंडिका, 8 वर्ष की कन्या को शांभवी और 9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है।
वहीं 10 वर्ष की आयु की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है। कंजक पूजन में कन्याओं की संख्या दो से कम और नौ से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
कंजक पूजन में एक छोटे लड़के को बटुक भैरव या लंगूरा कहा जाता है। मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ पर एक-एक भैरव को रखा है,
उसी तरह कन्या पूजन में भी एक बालक को रखना जरूरी है। इसलिए कंजकों में एक भैरव को बैठाया जाता है।
माता की विशेष कृपा मिलती है : ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण मोहन शर्मा ने बताया कि कन्या पूजन करने से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्र का पूरा फल नहीं मिलता है। इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
कन्या पूजन करने से परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम भाव बना रहता है और सभी सदस्यों की तरक्की होती है। 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या की पूजा करने से व्यक्ति को अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।
जैसे कुमारी की पूजा करने से आयु और बल की वृद्धि होती है। त्रिमूर्ति की पूजा करने से धन और वंश वृद्धि, कल्याणी की पूजा से राजसुख, विद्या, विजय की प्राप्ति होती है।
कालिका की पूजा से सभी संकट दूर होते हैं और चंडिका की पूजा से ऐश्वर्य व धन की प्राप्ति होती है। शांभवी की पूजा से विवाद खत्म होते हैं और दुर्गा की पूजा करने से सफलता मिलती है।
सुभद्रा की पूजा से रोग नाश होते हैं और रोहिणी की पूजा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं।
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