PM Vishwakarma Yojana: इस योजना के तहत मिलेंगा रोजगार के साथ ही 15 हजार रूपए महीना। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) भारत सरकार द्वारा 17 अगस्त 2023 को लॉन्च की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके काम को सम्मानित करने के लिए सहायता प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत विश्वकर्मा समाज के कारीगरों, श्रमिकों और छोटे उद्योगों को वित्तीय मदद, कौशल विकास, और आधुनिक तकनीक की ट्रेनिंग दी जाएगी।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता प्रदान करके उनके व्यवसाय को बढ़ावा देना है। इसके माध्यम से सरकार इन कारीगरों को सम्मानजनक जीवन जीने और अपने कार्य को नया आयाम देने का अवसर प्रदान करना चाहती है।
PM Vishwakarma Yojana
योजना के प्रमुख लाभ:
- वित्तीय सहायता: इस योजना के तहत कारीगरों को कामकाजी पूंजी और उपकरणों के लिए सहायता दी जाएगी, जिससे वे अपने कार्य को और बेहतर बना सकें।
- कौशल विकास: कारीगरों को नई तकनीकों और कौशल में ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।
- उन्नत तकनीक: कारीगरों को उन्नत मशीनों और उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिससे उनकी कार्यकुशलता और उत्पादन क्षमता में सुधार हो सके।
- प्रशिक्षण और विकास: इस योजना में प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही कारीगरों के बीच नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा।
कौन-कौन लाभान्वित होंगे: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ विशेष रूप से उन कारीगरों, शिल्पकारों और छोटे उद्योगों को मिलेगा जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जैसे:
- बढ़ईगीरी
- लोहार
- पत्थरकारी
- शिल्प कला
- टोकरी बुनाई
- मूर्तिकला
- कांच और चीनी मिट्टी के बर्तन बनाना आदि।
वित्तीय सहायता की राशि: इस योजना के तहत प्रत्येक कारीगर को ₹1,000 प्रति माह तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, ₹15,000 तक के उपकरण और सामग्रियों की सहायता दी जा सकती है।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना एक ऐतिहासिक पहल है, जिसका उद्देश्य देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की स्थिति में सुधार करना है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और पारंपरिक कारीगरी के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। इस योजना के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पारंपरिक कला और शिल्प को भविष्य में भी एक मंच प्राप्त हो।