Amalaki Ekadashi 2022: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा के चलते ही इसे आमलकी एकादशी कहते है। इस दिन आंवले के वृक्ष के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है।
आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता है। इसके मूल, यानी जड़ में श्री विष्णु तने में शिव और ऊपर के हिस्से में ब्रहमा का वास माना जाता है।
साथ ही इसकी टहनियों में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण का निवास माना जाता है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
इस दिन आंवले का पूजन, भोजन, दान और इससे जुड़े कुछ उपायों काे करने से व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
Amalaki Ekadashi 2022: आंवला एकादशी पूजा विधि और उपायः
आमलकी एकादशी Amalaki Ekadashi के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर एक चौकी पर स्थापित कर विधिवत पूजा करें।
यदि आंवले का पेड़ नहीं है तो घर के पूजा स्थान पर भी आप पूजा कर सकते हैं। पूजा में भगवान विष्णु को रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप और नैवेद्य सहित आंवला अर्पित कर घी का दीपक जलाकर आंवला एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें। फिर आरती करें।
पूजा के दौरान करें ये उपायः आमलकी एकादशी के दिन आंवले का पौधा लगाकर इसमें जल अर्पित कर दीपक जलाकर प्रतिदिन इसका पूजन करें। जैसे-जैसे पौधा बढ़ेगा, आपके व्यापार में भी बढ़ोतरी होगी।
अगर आप कोई विशेष मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं तो इस दिन भगवान नारायण की पूजा करें। साथ ही अपनी मनोकामना एक कागज पर लिखकर इसके ऊपर दो आंवले रखकर विष्णु जी को समर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
अगर आप दीपक जलाकर आंवले के पेड़ के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए प्रर्थना करते हैं तो आपको जीवन की सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
आमलकी एकादशी Amalaki Ekadashi मुहूर्तः 13 मार्च सुबह 10:21 से एकादशी शुरू होगी जो 14 मार्च को दोपहर 12:05 पर समाप्त होगी।
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