Betul News: आम तौर पर शादी समारोह में लोग अपनी हैसियत और ताकत का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते, मगर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक चिकित्सक ने अपने विवाह समारोह में सादगी की मिसाल पेश की. उसने अपनी बारात बैलगाड़ी पर निकाली. लगभग तीन किलो मीटर का सफर बैलगाड़ी पर ही तय किया.
फोटो पर क्लिक करे
Betul News: क्या कहा दूल्हे ने
इस मौके पर राजा धुर्वे का कहना था कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन-उच्च विचार सिखाने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.
उनके मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता सुलभ और प्रदूषणमुक्त साधन है. बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता संस्कृति की पहचान है. इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया.
लोक-कलाओं से सजाया गया
इस अनूठी बारात में बैलगाड़ी को खास जनजातीय, लोक-कलाओं से सजाया गया था. दूल्हे की बैलगाड़ी के पीछे चार बैलगाड़ी और चलाई गईं. इनमें बच्चों और महिलाओं को बैठाया गया था.
बारात में जनजातीय लोक नृत्य और लोक वाद्य शामिल किए गए थे, जो आमतौर पर किसी शादी में देखने को नहीं मिलते.
ग्राम असाढ़ी से बैलगाड़ी में निकले दूल्हे राजा जब तीन किलोमीटर दूर दूधिया गांव में अपनी दुल्हन को लेने पहुंचे तो लोग झूम उठे. इस मौके पर दूल्हे के दोस्त रमेश पांसे ने कहा कि आधुनिकता और दिखावे के दौर में डॉ राजा धुर्वे जैसे लोग यूथ आइकॉन ही कहे जा सकते हैं,
जो उच्च शिक्षित और सक्षम होने के बावजूद सभ्यता-संस्कृति को सहेजने और दिखावे की आदत से लोगों को दूर रहने का संदेश दे रहे हैं. उम्मीद की जा सकती है कि राजा धुर्वे का ये अनूठा प्रयास लोगों को अपनी जड़ों की तरफ लौटने के लिए प्रेरित करेगा.