Curfew in Khargone: कुछ दिन पहले शहर में रामनवमी पर हुई हिंसा का खौफनाक मंजर याद कर घटना के तीन दिन बाद भी लोग भयभीत और डरे नजर आ रहे हैं।
ऐसे में किसी का परिवार छोड़कर चला गया तो कोई घर बेचने की तैयारी कर रहा है।और हालात यह है कि पीड़ितों के घर न खाने को दाना है न पहनने को कपड़े।
यह आपबीती संजय नगर टावर के पीछे रहने वाले करीब 15 परिवारों की है। यहां अपने आशियाने को किसी ने तीसरी बार तो किसी ने चौथी बार अपनी आंखों के सामने जलते हुए देखा है।
बता दे की संजय नगर टावर क्षेत्र के महेश मुछाल ने बताया कि वह कारीगर है। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं।
मुछाल ने रूंधे हुए गले से बताया कि रामनवमी के दिन दोपहर एक बजे मुस्लिम बस्ती की महिलाएं एक के बाद एक सामान लेकर जाने लगी थी।
रहवासियों को आशंका हुई कि कोई तनाव की स्थिति तो नहीं उन्होंने स्थिति तो भांप ली लेकिन यह नहीं सोचा था कि इतना बड़ा तांडव होगा।
शाम को जैसे ही गोशाला की ओर पथराव शुरु हुआ, उनके क्षेत्र में मुस्लिम बस्ती में लोग इकट्ठा होने लगे देखते ही देखते करीब छह बजे 200 से अधिक दंगाई उनके घरों की ओर दौड़े।
कोई कुछ समझ पाता इसके पहले किसी के घर पेट्रोल बम फेंकने लगे तो किसी के घर दरवाजा तोड़ने लगे। हालात बिगड़ते देख जान बचाने के लिए वह घर से भाग खड़े हुए।
कोई रिश्तेदार के यहां रुका तो किसी ने पहचान वाले के यहां पनाह ली। लौटे तो देखा गृहस्थी का पूरा सामान जलकर खाक हो चुका था।
दंगाई उनके घर से बर्तन, अनाज, अलमारी में रखे आभूषण, नकदी ले गए, कपड़ों, पलंग और खटिया को आग के हवाले कर दिया। ऐसी ही वारदातें क्षेत्र के मनीष गुप्ता, विजय, सतीष मुछाल आदि के घरों में भी हुई है जो प्रशासन से मदद की आस लगाए बैठे हैं।
क्षेत्र की एक महिला ने बताया कि जिस तरह के हालात कश्मीर फाईल्स फिल्म में दिखाए गए हैं, कमोबेश उसी तरह के हालात उनके क्षेत्र में हिंसा के दौरान थे।
उनकी चीख, पुकार को उपद्रवियों ने नजर अंदाज कर दिया।
Curfew in Khargone: 1984 से अब तक चार बार जला घर
मुछाल ने बताया कि 1984 से अब तक उनके घर को चार बार जलाया जा चुका है। कोई एक बार आशियाना बनाता है, उन्होंने चार बार वापस गृहस्थी जोड़ी लेकिन अब वह निराश हो गए हैं।
मुछाल ने नाराजगी जताते हुए कहा अब तक जनप्रतिनिधि, शासन-प्रशासन उन्हें भरोसा देते आए हैं कि आप डटे रहो हम हैं लेकिन जब भी शहर में तनाव के हालात होते या स्थिति बिगड़ती है,
उनका घर निशाने पर होता है, कोई बचाने नही आता। इस बार तो उनकी पत्नी और बच्चे वापस आने से इंकार कर चुके हैं।
Curfew in Khargone: त्यौहार पर रहता है डर का साया
ऐसी ही पीड़ा संगीता पत्नी रमेश ने बताई। उन्होंने कहा जब भी हिंदूओ के त्यौहार आते हैं, उन्हें चिंता सताने लगती है कि कहीं विवाद न हो जाए।
इसी डर के चलते वह त्यौहार नहीं मना पाते। जब हालात सामान्य होते हैं तो दूसरे दिन त्यौहार मनाते हैं।
हर बार होने वाले पथराव से बचाव के लिए यहां रहने वाले करीब 30 से अधिक मकानों के घर के पिछले हिस्से में शटर या लोहे के दरवाजे के अलावा लकड़ी के दरवाजे भी लगाए गए हैं।
रामनवमी पर कई मकानों में दरवाजा नहीं टूटने पर पेट्रोल-बम से आग लगाई फिर दरवाजा तोड़कर घर में घुसे।
Curfew in Khargoneमकान पर पत्थरों के साथ फेंके पेट्रोल बम
शहर में हालात सामान्य होने पर कई पीड़ित थाने पर अपनी फरियाद लेकर पहुंचे।
मंगलवार को पुलिस कोतवाली पहुंची राखी भावसार ने बताया कि वह खंडवा निवासी होकर जमींदार मोहल्ला स्थित अपने मायके गणगौर का त्यौहार मनाने आई थी।
रामनवमी पर वह घर अकेली थी, उनके घर के समीप ही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र खसखसवाडी है। यहां से सैंकड़ों लोग उनके घर की ओर आए कोई पेट्रोल बम फेंक रहा था तो कोई पत्थरबाजी कर रहा था।
हालात को भांपते हुए वह घर से थोड़ी दूर पड़ोसी के घर की और दौड़ी इस दौरान उसके सिर पर पत्थर भी लगा। खून बहने के बाद भी वह जैसे तैसे जान बचाने के लिए भागती रही और पड़ोसी के घर पनाह ली।
Curfew in Khargone: घर में घुसे अकेली महिला को पीटा
कोतवाली पहुंची संजय नगर निवासी संगीता रमेश ने बताया कि उपद्रव वाली रात उनके घर पर करीब 40 अज्ञात लोग दाखिल हुए।Curfew in Khargone
पहले तो बिस्तरों पर जलता हुआ कपड़ा फेंका। इसके बाद तोड़फोड़ शुरू की। रोकने की कोशिश की तो एक युवक ने लोग लोहे की सब्बल से पिटा, गर्दन दबाकर झुका दिया और कान से सोने की बाली खींच ली और मंगलसूत्र खींचकर भाग खड़ा हुआ। पिटाई से पीठ और बाजू पर आज भी निशान हैं।