Gehu से ज्यादा जौ का मिल रहा है भाव, 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुचा।

अभी के समय मे gehu से संबंधित बहुत सारी अफवाहे फैल रही है ऐसे मे हम आपको इसे संबधित सही जानकारी प्रदान करेंगे। बताया जा रहा है की, अभी गेहुं से अधिक जौ के दामो मे अधिक उच्छल देखने के लिए मिल रहा है। Aise me कृषक को भी इसका दाम कम मिलेगा।

जानें, gehu से जौ का ताजा भाव और आगे बाजारों का रूख

आपको बता दे की गेहूं और सरसों के बाद अब जौ के भाव भी आसमान तक पहुचने लगे हैं। देशों में बढ़ती खाद्यान्न की मांग के कारण गेहूं और सरसों के भावों में भी और भी अधिक इजाफा हुआ है और अब जौ के भावों में दोगुनी तेजी का रूख दिखाई दे रहा है।

बात करें की राजस्थान की तो यहां की श्रीमाधोपुर कृषि उपज मंडी में इस वर्ष जौ की बंपर आवक हो रही है। वहीं जौ के भावों में करीब 1500 रुपए की तेजी आ गई हैं जो पिछले साल की तुलना में दोगुना हैं। यहां जौ का भाव 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। माल्ट कंपनियां किसानों से 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से जौ की खरीद कर रही हैं।

जबकि जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि सरकारी रेट विपणन वर्ष 2022-23 के लिए 1635 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इस हिसाब से देखें तो श्रीमाधोपुर तहसील में जौ की कीमत दोगुनी हो गई है। वहीं राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में भी जौ की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है।

माल्ट कंपनियों में लगी स्टॉक बढ़ाने की होड़

बता दें कि पिछले साल जौ के भाव 1533 रुपए थे जबकि इस साल जौ के भाव 3 हजार रुपए तक पहुंच गए हैं। मार्च की शुरुआत में जौ का भाव 2052 रुपए था। इसके बाद इसके भावों में तेजी आई और जौ की कीमत 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गई।

बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अचानक भाव बढऩे से माल्ट कंपनियों में जौ का स्टॉक करने की होड़ सी लगी हुई है। इससे जौ के दाम बढऩे के बाद भी किसानों से इसकी खरीद अच्छी हो रही है। इससे किसानों को अब पहले से दुगुना लाभ मिल रहा है। 

पहली बार जौ का भाव पहुंचा 3 हजार रुपए के स्तर पर

किसानों का कहना है कि ये पहली बार है कि जौ के भाव 3 हजार के स्तर को छू गया है। जबकि पिछले साल 1533 प्रति क्विंटल थे। जौ के भाव बढऩे से किसानों को लाभ हो रहा है। उनकी जौ की फसल अधिक भाव पर बिक रही है।

बता दें कि रूस और यूक्रेन दोनों ही प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक देश हैं और कई देशों को गेहूं सहित अन्य खाद्यान्न निर्यात करते हैं। अब चूंकि रूस-यूक्रेन दोनों के बीच युद्ध चल रहा है जिससे कई देश भारत से खाद्यान्न मंगवा रहे हैं। इसका भारत को सीधा फायदा मिल रहा है और वहीं किसानों अपनी फसलों का अधिक दाम मिल रहा है। 

माल्ट कंपनियां कर रहीं हैं जौ की अधिक खरीद, ताकि साल भर रहे स्टॉक

माल्ट कंपनियां किसानों से जौ की सबसे ज्यादा खरीद कर रही हैं। इसके चलते किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं। अब देश में भी जौ की मांग अधिक हो रही है। बता दें कि माल्ट कंपनी में बीयर बनाने वाली कंपनियां आती है। बीयर निर्माण में जौ का उपयोग किया जाता है।

इधर रूस-यूक्रेन के बीच हुए युद्ध से लोगों को लग रहा है कि ऐसे ही युद्ध चलता रहा तो खाद्यान्न का संकट पैदा हो सकता है। इसे देखते हुए देश-विदेश में खाद्यान्न फसलें जैसे- गेहूं, सरसों, जौ की ऊंची कीमत पर खरीद हो रही है।

अभी तक मंडियों में कितनी हुई जौ की आवक

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीमाधोपुर मंडी में पिछले साल मार्च से मई तक एक लाख 79 हजार 430 क्विंटल जौ की आवक हुई थी। इस बार सीजन के डेढ़ माह में ही एक लाख 60 हजार 864 क्विंटल जौ की आवक हो चुकी है। अभी मई तक आवक होनी है। इधर सीकर कृषि उपज मंडी में इस बार अब तक ही करीब 60 हजार बोरी आ चुकी हैं।

पिछले साल सीकर मंडी में मई तक जौ की आवक करीब एक लाख बोरी रही थी। सीजन के दौरान सीकर मंडी में जौ का कारोबार करीब एक महीने में 70,000 बोरी तक हो चुका है। प्रतिदिन मंडी में जौ की आवक 2 हजार बोरी हो रही है। कारोबारियों के अनुसार सीकर मंडी में मार्च के पहले सप्ताह से ही जौ की आवक शुरू हो चुकी थी। 15 मार्च के बाद जौ के कारोबार ने तेजी पकड़ी है। करीब 30 से 35 दिन में ही सीकर मंडी में जौ का कारोबार 70,000 बोरी तक पहुंच चुका है। 

माल्ट कंपनियों में होती है जौ की सबसे अधिक खपत

देश में जौ की सबसे ज्यादा खपत माल्ट कंपनियों में होती है। इसलिए कुल जौ की 80 प्रतिशत खरीद माल्ट कंपनियां द्वारा की जाती है। इसके पीछे कारण ये हैं कि इन्हें साल भर कारखाना चलाने के लिए जौ की आवश्यकता होती है। इसके लिए ये कंपनियां साल भर काम में आने वाले जौ की मात्रा की एक साथ खरीद लेती हैं।

जौ के इस माल्ट से बीयर बनाई जाती है। भारत में जौ की पैदावार कम और खपत ज्यादा है। इसलिए जौ का आयात करना पड़ता है। देश में सबसे ज्यादा यूक्रेन व रूस से करीब 60 प्रतिशत जौ का आयात किया जाता है

जौ को लेकर आगे क्या रहेगा बाजार का रूख

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जौ के भाव तेजी से बढ़े हैं क्योंकि माल्ट कंपनियां पूरे साल का स्टॉक करने में लगी हुई है। जबकि देश में जौ की खपत के मुकाबले इतना उत्पादन नहीं होता है। इसलिए देश को जौ का आयात करना पड़ता है।

जिन देशों से जौ का आयात किया जाता है उनमें रूस-यूक्रेन प्रमुख है। इसलिए ये कहा जा सकता है कि जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है तब तक जौ भावों में अधिक गिरावट नहीं आएगी। यदि गिरावट आई तो भी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचे बने रहेंगे। 

विशेष : खबर में दिए गए मंडियों के भाव मीडिया रिपोट्स पर आधारित है इसलिए किसान भाई जौ की खरीद या बिक्री करते समय संबंधित मंडी के भाव अवश्य पता कर लें, क्योंकि भावों मेें प्रतिदिन उतार चढ़ाव बना रहता है।

Gehu से ज्यादा जौ का मिल रहा है भाव, 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुचा।

Leave a Comment

Chimichurri Sauce Awesome Pasta Salad Kadife tatlısı nasıl yapılır? Evde kolayca hazırlayabileceğiniz pratik tatlı tarifi! Hülya Avşar: Fazla zenginlik insana zarar veriyor Amitabh Bachchan Net Worth: कितनी है अमिताभ बच्चन की नेटवर्थ? अपनी संतान अभिषेक और श्वेता को देंगे इतने करोड़ की प्रॉपर्टी!