Indore Samachar: इंदौर में होलकर राजवंश की होलिका दहन की परंपरा बरसों से चली आ रही है। आज एक बार फिर इस परंपरा का निर्वहन होगा। जिन चांदी के बर्तनों से लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर ने किसी जमाने में भगवान का पूजन-अर्चन किया था, आज उन्हें चांदी के बर्तनों से होलिका का पूजन किया जाएगा।
Join Whatsapp Group – CLICK HERE
देवी अहिल्या बाई होलकर की यह धरोहर आज भी खास मौकों पर ही देखने को मिलती है। होलकर कालीन चांदी की पिचकारी भी यहां है। जिसका इस्तेमाल आज होलिका दहन के बाद किया जाएगा।
दहन के बाद राजबाड़ा स्थित मल्हारी मार्तंड मंदिर में भगवान के पूजन के बाद मंदिर में भगवान को और देवी अहिल्या बाई की गादी पर चांदी के इसी पिचकारी से रंग-गुलाल डाला जाएगा।
Indore Samachar: आज भी संजो रखी है होलकर राजवंश की ये धरोहर
Indore Samachar इंदौर में आज भी होलकर राजवंश के ये धरोहर संजो रखी है। चांदी के इन बर्तनों में चांदी की थाल, चांदी की कटोरियां, चांदी का लौटा, चांदी का तरवाना, चांदी के गणेश जी चांदी का जल पात्र, जल चढ़ाने वाला बर्तन और चांदी की दो पिचकारियां भी है।
जो अपने आप में अनूठा है। खास बात यह है कि इन चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल होलकर काल से चला आ रहा है। चांदी की यह पिचकारी सन् 1728 की है। जिनका इस्तेमाल होलकर राजा करते थे।
चांदी की पिचकारी पर है नक्काशी, जलपात्र पर बने है गरुड़-शेषनाग
होलकर राजवंश की चांदी की दो पिचकारी आज भी इंदौर में मौजूद है। एक पिचकारी करीब डेढ़ फीट की तो दूसरी 2 फीट की है। इनका वजन 150 से 200 ग्राम है। इन पिचकारियों पर नक्काशी भी है। जबकि एक पिचकारी पर घड़े का आकर भी देखने को मिलता है। इसके अलावा चांदी के जलपात्र की बात करें तो (चल चढ़ाने वाला) वह भी कुछ खास है।
इस पात्र में सबसे ऊपर गरुड़ देव नजर आते हैं जिन पर शेष नाग की छाया है। वहीं, निचले हिस्से में दो मोर की कलाकृति देखने को मिलती है। इसके साथ ही चांदी की कटारियों और चांदी के तरवाना पर मोड़ी भाषा में वजन भी लिखा हुआ है।
आज होगा इन चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल
इंदौर में आज होने वाले सरकारी होलिका दहन में इन चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल होगा। खासगी ट्रस्ट मार्तंड देवस्थान के पुजारी पंडित लीलाधर वारकर के मुताबिक होलकर राजघराने के धार्मिक अनुष्ठान और पूजन में चांदी के इन्हीं बर्तनों का इस्तेमाल होता है।
होलिका दहन पर भी इन चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाएगा। चांदी की पिचकारी से भगवान और देवी अहिल्या बाई होलकर की गादी पर रंग-गुलाल डाला जाएगा।