Maharashtra पुणे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व पर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर वह और उनके समर्थक गद्दार होते,
तो उन्हें राज्य के लोगों का समर्थन नहीं मिलता. पुणे जिले के सासवड में एक रैली को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए उनके और
शिवसेना के अन्य विधायकों द्वारा अपनाया गया रुख लोगों के समर्थन से सही साबित हुआ है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद जून में गिर गई थी.
उसके बाद से ठाकरे नीत शिवसेना की ओर से शिंदे और अन्य पर गद्दार या विश्वासघाती कहते हुए निशाना साधा जाता है.
गठबंधन के कारण एनसीपी, कांग्रेस को संजीवनी मिली
शिंदे ने कहा कि सत्ता में होने के बावजूद, शिवसेना को राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में चौथा स्थान मिला था (जब ठाकरे मुख्यमंत्री थे).
उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस को 2019 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद सत्ता से बाहर रहना था लेकिन शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण उन्हें संजीवनी बूटी मिल गई.
भाजपा के समर्थन से 30 जून को मुख्यमंत्री बने शिंदे ने कहा, यदि शिवसेना-भाजपा सरकार (2019 में) बनती तो राकांपा और कांग्रेस के लिए मुश्किल स्थिति उत्पन्न हो जाती.
दुनिया पूछती है एकनाथ शिंदे कौन है
ठाकरे के खिलाफ अपने और शिवसेना के अन्य विधायकों की बगावत की ओर इशारा करते उन्होंने कहा, न केवल राज्य के लोगों ने बल्कि देश भर के लोगों ने इसका संज्ञान लिया है.
उन्होंने कहा, वह एक ऐतिहासिक घटना थी और यहां तक कि दुनिया ने भी इस पर ध्यान दिया और पूछा कि ये 50 लोग कौन हैं, एकनाथ शिंदे कौन हैं.
मुख्यमंत्री ने सभा में मौजूद लोगों से सवाल किया कि क्या वह और अन्य विधायक गद्दार हैं? उन्होंने कहा, क्या हम विद्रोही हैं, गद्दार हैं? अगर हम विद्रोही होते या गद्दार होते, तो क्या हमें राज्य के आम लोगों का समर्थन मिलता?
क्या आप इतनी बड़ी संख्या में (रैली में) आते? इसका मतलब है कि बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए हमारे रुख को राज्य के लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है.