Sharbati wheat Price:देश विदेश में मशहूर शरबती गेहूं को गोल्डन ग्रेन भी कहा जाता है, क्योंकि इसका रंग सुनहरा होता है। साथ ही यह हथेली पर भारी लगता है और इसका स्वाद मीठा होता है, इसलिए इसका नाम शरबती है।
शरबती गेहूं की खेती मध्य प्रदेश के सीहोर क्षेत्र में अधिक होती है। सीहोर क्षेत्र में काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है, जो शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
सीहोर जिले में शरबती गेहूं 40390 हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाता है और वार्षिक उत्पादन 109053 मिलियन टन होता है। सीहोर के साथ-साथ यह गेहूं मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर, होशंगाबाद , हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा जिले में उगाया जाता है। शरबती गेहूं (Sharbati Gehu) की “C-306 किस्म” पूरे भारत में उगाई जा सकती है
शरबती गेहूं की खासियत (Sharbati wheat production in India)
मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में वर्षा जल से सिंचित होने के कारण शरबती गेहूं की मिट्टी में पोटाश की मात्रा अधिक तथा आर्द्रता कम होती है। इसके परिणामस्वरूप सामान्य गेहूं के आटे की तुलना में गेहूं की प्रोटीन सामग्री लगभग 2% अधिक बढ़ जाती है।
इससे शरबती गेहूं की फसल में कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत कम हो जाती है और यही वज़ह है कि शरबती गेहूं की फसल का आटा निस्संदेह बाकी की तुलना में बेहतर आटे के रूप में योग्य होता है। शरबती गेहूं का आटा स्वाद में मीठा और बनावट में अन्य गेहूं के आटे की तुलना में बेहतर होता है। शरबती के गेहूं के आटे के दाने आकार में बड़े होते हैं।
शरबती गेहूं के लाभ Sharbati wheat Price
शरबती गेहूं अत्यधिक पौष्टिक होता है और प्रति 30 ग्राम में लगभग 113 कैलोरी, वसा (1 ग्राम), कार्बोहाइड्रेट (आहार फाइबर सहित 21 ग्राम), प्रोटीन (5 ग्राम), कैल्शियम (40 मिलीग्राम) और आयरन (0.9 मिलीग्राम) होता है। इसके अलावा, यह मैग्नीशियम, सेलेनियम, कैल्शियम, जिंक और मल्टी विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है।
इन कारणों के चलते शरबती गेहूं का रकबा घटा
शरबती गेहूं का यूं तो कोई जवाब नहीं है लेकिन इसके बेहद नाजुक होने के कारण इस मौसम की मार जल्दी पड़ती है। वहीं कटाई के दौरान हार्वेस्टर मशीन भी इसे नुकसान पहुंचाती है।
इसमें ज्यादा पानी की जरुरत पड़ती है बावजूद अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि इसका रकबा बेहद कम हो गया।
किसानों का रुझान अब शरबती की जगह हर्षिता और पूर्णा, पोषक जैसी किस्मों पर है। दरअसल, जहां शरबती गेहूं का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक ही होता है वहीं अन्य किस्मों से प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल तक का उत्पादन लिया जाता है।
वहीं कुछ सालों से अच्छी बारिश की वजह से किसानों में ज्यादा उपज देने वाली किस्मों और प्याज-लहसुन की खेती में बढ़ा है। इस वजह से भी रकबा काफी कम हो गया है।
शरबती की जगह धीरे-धीरे गेहूं की हर्षिता किस्म का गेहूं ले रहा है। हर्षिता गेहूं की किस्म की पैदावार शरबती गेहूं के मुकाबले अधिक है। वही मार्केट में भाव भी शरबती गेहूं के मुकाबले ही रहता है। कृषि वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि हर्षिता किस्म शरबती का बेहतर विकल्प है।
यह काफी पौष्टिक है और स्वाद में शरबती की तरह ही होता है। वहीं हर्षिता के अलावा जिले में लोकवन, पूर्णा, तेजस और पोषण किस्म है जिनकी शरबती की तुलना में अधिक पैदावार होती है। यही कारण है कि किसान शरबती गेहूं की खेती कम करना पसंद कर रहे हैं,