Gehu niryat 2022 – भारतीय गेहूं की डिमांड विदेशी मार्केट में बहुत होने लगी। भारत से लगातार गेहूं का निर्यात हो रहा है। भारत ने वैश्विक गेहूं बाजार पर एक तरह से कब्जा कर लिया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1 साल में ही गेहूं का निर्यात 4 गुना हो गया है।
इस वर्ष भारतीय गेहूं के निर्यात का नया रिकॉर्ड बने की पूरी संभावना है। इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है लंबे समय से आर्थिक तंगी की मार झेल रहे भारतीय किसानों के लिए गेहूं का निर्यात बढ़ना अच्छी बात है क्योंकि इससे गेहूं के भाव में तेजी आएगी।
गेहूं निर्यात से किसानों का यह फायदा है (Gehu niryat 2022)
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दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच चल रही युद्ध के चलते भारतीय गेहूं की वैश्विक मांग काफी बढ़ गई है। ऐसे में कई नए देश भारतीय गेहूं के ग्राहक बन गए हैं ऐसे में 2022-23 मैं भारतीय गेहूं निर्यात का नया रिकॉर्ड बनने की संभावना है।
वैसे भी भारत से गेहूं निर्यात करने पर कोई रोक-टोक नहीं है। ऐसे में विदेश व्यापार नीति के तहत गेहूं का निर्यात मुफ्त श्रेणी में आता है।
ऐसे में गेहूं निर्यात के लिए केंद्र सरकार से किसी लाइसेंस या प्राधिकार पत्र लेने की आवश्यकता भी नहीं है। ऐसे में भारतीय निर्यातक इस छूट को गेहूं निर्यात बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर मान रहे हैं। इसका असर यह पड़ेगा कि स्थानीय मंडियों एवं बाजार में गेहूं के भाव में तेजी रहेगी गौरतलब है कि गेहूं अब तक समर्थन मूल्य से ऊंचे दाम पर ही मंडियों में बिक रहा है।
इससे निश्चित तौर पर किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी जो कि मोदी सरकार की चाहत भी है, जो कि भलीभूत होगी।
गेहूं निर्यात के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कदम
वैश्विक स्तर पर भारतीय गेहूं की डिमांड बढ़ने पर केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चुनिंदा कदम भी उठाए हैं। ताकि देश में विदेशी मुद्रा आए और गेहूं निर्यात का सीधा फायदा किसानों को मिल सके।
वहीं गेहूं निर्यात के बढ़ने की संभावना को देखते हुए ही इस बार खुले बाजार ने गेहूं का एमएसपी से अधिक दाम मिल रहा है। इस समय गेहूं का एमएसपी 2015 रुपए प्रति व्किंटल है। ऐसे में इस साल गेहूं का निर्यात 100 लाख टन के आसपास होने का अनुमान है।
गेहूं निर्यात की संभावना लगातार बढ़ती जा रही है
भारत के गुजरात से गेहूं जीआई किस्म (भालिया) को बढ़ावा देने के लिए केन्या और श्रीलंका को एक परीक्षण शिपमेंट भेजा गया था हाल ही में मिस्त्र ने भी भारत से गेहूं मांगा है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से कहा गया है
कि भारतीय दूतावासों की भागीदारी के माध्यम से केंद्रीय सरकार ने गेहूं निर्यात के लिए इंडोनेशिया, यमन, गणराज्य, अफगानिस्तान कतर, ओमान, भूटान और फिलिपींस में गए संभावित बाजारों का पता लगाया। इससे भारत इसे भारतीय युवाओं के निर्यात की संभावना लगातार बढ़ती जा रही है, जो किसानों के लिए अच्छा संकेत है
गेहूं का निर्यात पिछले वर्ष से इस वर्ष 4 गुना बढ़ा
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में 568 मिलियन डॉलर का गेहूं निर्यात हुआ था वही 2021-22 में गेहूं निर्यात 4 गुना बढ़कर 2119 मिलियन डालर हो गया है।
गेहूं निर्यात में ऐसे उछाल आएगा इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। वहीं 2020-21 में जहां 21.55 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था वही 2021-22 में गेहूं का निर्यात 21 अप्रैल तक ही 70 लाख टन के पार हो गया था।
गेहूं निर्यात में स्थिरता लाने के लिए यह प्रयास हुए तेज
2019-20 में गेहूं निर्यात सिर्फ 2 लाख 17 हजार 334 टन हुआ था। वहीं गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ उत्पादन और निर्यात में आने वाली चुनौतियां पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एपीडा ने एक कार्यदल का गठन किया है। जिसके तहत गेहूं का निर्यात की आपूर्ति श्रृंखला में मुद्रा के समाधान के लिए व्यापार जगत के साथ नियमित बातचीत हो रही है,
ऐसे में निर्यात किया जाने वाला उत्पादन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एपीडी ने देश भर में 213 प्रयोगशालाओं की मान्यता प्रदान की है। जिसके तहत निर्यात परीक्षण और निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को सहायता प्रदान की गई।
भारत से सबसे अधिक गेहूं खरीदने वाले 10 प्रमुख देश
Gehu niryat 2022 – भारतीय गेहूं यूरोप, अफ्रीका, एशिया के कई देशों में निर्यात हो रहा है। भारत से सबसे अधिक गेहूं खरीदने वाले 10 प्रमुख देशों में बांग्लादेश ने 39,37438 टन, श्रीलंका ने 5,80,819 टन, युएई ने 4,69,851 टन इंडोनेशिया ने 3,68,274 टन, फिलिपींस 3,57,538 टन, यमन गणराज्य ने 3,52,910 टन, नेपाल ने 3,05,360 टन, कोरिया गणराज्य ने 2,12,155 टन, कतर ने 1,04,759 टन और ओमान ने 91,411 टन गेहूं खरीदा है। (यह आंकड़े अप्रैल माह के हैं।)