Mehandi Farming: मेंहदी की खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है, क्योंकि ये कम समय में ही अच्छा मुनाफा किसानों को मुहैया करा सकता है, लेकिन इसकी खेती कैसे और कब करें आइये इस लेख में जानते हैं.
Mehandi Farming
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देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी पर निर्भर हैं, लेकिन बावजूद इसके किसान अच्छा मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं. ऐसे में अगर किसान भाई पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक तरीके से खेती करें, तो इसका मुनाफा उन्हें जल्द ही देखने को मिल सकता है.
इसी कड़ी में ऐसे कई पेड़-पौधे हैं, जिनकी खेती कर किसान लाखों कमा सकते हैं. इन्हीं में से एक मेंहदी की खेती करना है. मेंहदी की खेती कर किसान भाई लाखों की कमाई कर सकते हैं. तो चलिए जानते है इसकी खेती करने का सही तरीका क्या है.
मेंहदी की खेती करने का सही समय(Right time to cultivate henna)
मेंहदी एक बहुवर्षीय झाड़ीदार फसल है,जिसकी खेती व्यवसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए किया जाता है. वैसे तो मेंहदी की फसल हर तरीके की जलवायु में लगाई जा सकती है, लेकिन शुष्क से उष्णकटिबंधीय और सामान्य गर्म जलवायु में इसके फसल और अच्छे तरीके से ग्रोथ करते हैं. ऐसे में मार्च का महीना इसके बीज के बुवाई का सबसे अच्छा समय माना जाता है.
इसकी खेती का सही तरीका क्या हैं?(What is the right way to cultivate it?)
खेत की भूमि को सबसे पहले समतल कर लें. फिर डिस्क व कल्टीवेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. वहीं इसकी अंतिम जुताई के वक्त आप इसमें 10 – 15 टन सड़ी देशी खाद डाल दें. फिर इसकी क्यारियां अच्छी तरह से तैयार कर लें और फिर मार्च महीने में इसकी बुवाई कर लें. जिसके बाद मात्र एक महीने के अंदर ही इनके फसलों में फूल आने लगेंगे.
20-25 सालों तक मेंहदी की फसल से मिलता है फायदा(Benefits of henna crop for 20-25 years)
बता दें कि मेहंदी के पौधे साल भर में अच्छे से तैयार हो जाते हैं. इनकी फसल एक बार लगने के बाद 20 से 25 साल तक चलती है और इतने सालों तक आपको फायदा देती रहती है. एक अनुमान के मुताबिक, 3 से 4 सालों के बाद मेंहदी की फसल से हर साल तकरीबन 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टर सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है. ऐसे में मेंहदी की खेती कर किसान सालों-सालों तक लाखों कमा सकते हैं.
वहीं, अगर आप मेंहदी की खेती के साथ किसी और चीज की खेती कर अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आप मेंहदी की 2 पंक्तियों के बीच खरीफ व रबी ऋतु में दलहन तथा अन्य कम ऊंचाई वाली फसलें उगा सकते हैं.