Mustard Cultivation: सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है. सरसों की फसल से किसानों काफी अच्छी पैदावार होती है. ऐसे में आज हम आपको इस लेख में सरसों की खेती की सही जानकरी देंगे जिससे किसान भाई इसकी फसल से अच्छा उत्पादन हो सके. तो आइये जानते हैं इसकी खेती का सही तरीका-
सरसों की खेती किन राज्यों में की जाती है (In Which States Mustard is Cultivated)
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सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है. वहीं बात करें राजस्थान राज्य की तो वहाँ सरसों की खेती प्रमुख रूप से भरतपुर, सवाई माधोपुर, अलवर, करौली, कोटा, जयपुर और धौलपुर आदि जिलो में की जाती हैं.
सरसों की खेती करने के लिए उपयुक्त मिटटी (Suitable Soil For Mustard Cultivation)
सरसों की खेती के लिए हर प्रकार की मिटटी उपयुक्त होती है, लेकिन बलुई दोमट मिटटी इसकी खेती के लिए अधिक उत्तम होती है.
सरसों की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं तापमान (Suitable Climate And Temperature For Mustard Cultivation)
सरसों की खेती के लिए शरद ऋतु अच्छा माना जाता है एवं इसकी अच्छी फसल के उत्पादन के लिए तापमान 15 – 25 सेल्सियस के बीच होना उत्तम होता है. ये फसल ज्यादा तापमान बर्दास्त नहीं कर सकता ज्यादा तापमान से बीज अच्छा अंकुरत नहीं हो पाता है.
सरसों की खेती लिए भूमि तैयार करने की विधि (Method of Preparing Land For Mustard Cultivation)
सरसों की अच्छी पैदावार लिए बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह 3,4 बार जुताई करनी चाहिए. खेत अच्छी तरह भुरभुरी हो जाये खेत में देशी खाद डालकर व मिलाकर मेड़-बन्दी करके क्यारियां बनानी चाहिए.
सरसों की खेती के लिए उपयुक्त खाद का प्रयोग (Use Of Suitable Fertilizers For Mustard Cultivation)
सरसों की खेती के लिए जरुरी खाद निम्न प्रकार है-
- 7 से 12 टन सड़ी गोबर,
- 175 किलो यूरिया
- 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट
- 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश
- 200 किलो जिप्सम
- जिंक
सरसों की बुवाई का समय (Mustard Sowing Time)
सरसों की बुवाई अक्टूबर माह में की जाती है. इसकी बुवाई कतारों में करनी चाहिए, ध्यान रखें एक कतार से दूसरी कतार के बीच की दूरी 45 से. मी होनी चाहिए. इसकी बुवाई करते समय पौधों की दूरी 20 से. मी. होनी चाहिए. बीज बोने के लिए सीड ड्रिल मशीन का उपयोग किया जाता है.
सरसों की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Mustard)
पूसा बोल्ड (Pusa Bold)
सरसों की यह किस्म 110 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसतन उपज 2000 से 2500 किलोग्राम प्रति हेक्टर होती है. इस किस्म में 40 % तक तेल निकलता है. इसकी खेती राजथान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र राज्यों में की जाती है.
पूसा जयकिसान – बायो 902 (Pusa Jaikisan – Bio 902)
इस किस्म की फसल 155-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसतन उपज 2500 – 3500 प्रति हेक्टर होती है. इस किस्म में 40 % तक तेल निकलता है. इसकी खेती गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान राज्यों में की जाती है.
क्रान्ति (Kranti )
सरसों की यह किस्म 125-135 में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की फसल की औसतन उपज 1100-2135 प्रति हेक्टर होती है. इस किस्म में 42 % तेल निकलता है. इसकी खेती हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान राज्य में की जाती है.
आर एच 30 (Rh 30)
इस किस्म की फसल 130-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 1600-2200 प्रति हेक्टर होती है. इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान राज्यों में की जाती है.
आर एल एम 619 (RLM 619)
इस किस्म की फसल 140-145 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतम उपज 1340-1900 प्रति हेक्टेयर होती है. इसमें 42 % तेल निकलता है. इसकी खेती मुख्य रूप से गुजरात, हरियाणा, जम्मू व कश्मीर, राजस्थान राज्यों में की जाती है.
पूसा विजय (Pusa Vijay)
इस किस्म की फसल 135-154 दिन में पाक कर तैयार हो जाती है. इसकी औसतम उपज 1890-2715 प्रति हेक्टेयर होती है. इनमे 38% तेल निकलता है. इसकी खेती दिल्ली में की जाती है.