Kisan Samachar: तकनीकी खेती अपनाकर किसान ने खोले समृद्धि के द्वार

Kisan Samachar: देवास जिले के ग्राम पोलायजागीर गाँव के किसान लक्ष्मीनारायण ने उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर अपने परिवार के जीवन-स्तर को कई गुना बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है। परम्परागत तरीके से खेती करने वाले लघु सीमांत किसान लक्ष्मीनारायण के पास 1.79 हेक्टेयर भूमि होने के बावजूद वह बमुश्किल घर का खर्च चला पाते थे।
Kisan Samachar:
Kisan Samachar: पर वर्ष 2015 में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्र देवास, केन्द्रीय गेहूँ अनुसंधान केन्द्र इंदौर, कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और ग्वालियर, केन्द्रीय सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र इंदौर से सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने उच्च वैज्ञानिक तकनीकी से खेती आरंभ की।
परिणाम स्वरूप आज खेती से वह 7 लाख रुपये वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं। इस साल 16 लाख रुपये लागत से मकान भी बनकर तैयार हो गया है और बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं, जिनकी सालाना फीस एक-एक लाख रुपये है।
Kisan Samachar: श्री लक्ष्मीनारायण कहते हैं सारे मार्गदर्शन के बाद मैंने वर्ष 2017-18 में रिजबेड पद्धति से खरीफ फसल में सोयाबीन और रबी में चना बोया। उन्हें प्रति हेक्टेयर 27 क्विंटल सोयाबीन और लगभग 38 क्विंटल चना उत्पादन प्राप्त हुआ।

वर्ष 2018-19 में इसी पद्धति को अपना कर ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन पद्धति का प्रयोग करते हुए उच्च गुणवत्ता का 40 किलोग्राम प्रति एकड़ गेहूँ बोया। स्वयं द्वारा तैयार जैविक खाद, जैविक कीटनाशक जैसे गौमूत्र, अमृतपानी छाछ, निम्बोली, नीम, तम्बाखू, बेशरम के पत्तों के अर्क का प्रयोग किया।
पूर्ण अवस्था होने पर गेहूँ की फसल पर बोरान, जिंक चिलेट और आयरन चिलेट के प्रयोग के फलस्वरूप प्रति हेक्टेयर 109 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन प्राप्त हुआ। उन्होंने इसी तरह वैज्ञानिक पद्धति अपनाते हुए वर्ष 2019-20 में चना और गेहूँ का प्रचुर उत्पादन लिया।
श्री लक्ष्मीनारायण ने वर्तमान वर्ष में गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों की उच्चतम तकनीकों को अपनाते हुए सोयाबीन, गेहूँ और चने की फसल लगाई है। उन्होंने पंचायत विभाग की मदद से अपने खेत में तलाई का भी निर्माण करवाया है, जिसमें वह मछली-पालन शुरू करने जा रहे हैं।
वैज्ञानिक ढंग से खेती ने जहाँ फसल उत्पादन लागत कम कर दी है, वहीं खाद और दवाइयों के लिये भी वह अब बाजार पर निर्भर नहीं है। वह नरवाई को न जलाते हुए खेत में ही सड़ा देते हैं। इससे मिट्टी का बायोमॉस बढ़ने के साथ रासायनिक और भौतिक गुणों में सुधार होता है।
वह विभिन्न फसलों की नई वेरायटी के आधार बीज भी तैयार कर रहे हैं, जो बीज उत्पादक कम्पनियाँ और किसान उनके घर से ही खरीद लेते हैं।
2 thoughts on “Kisan Samachar: तकनीकी खेती अपनाकर किसान ने खोले समृद्धि के द्वार”