prized treasures: झांसी. 1967 में गुलशन कुमार मेहता ने एक गीत लिखा था, जिसके बोल थे, “मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती”.
मेहता ने यह गीत भारत में होने वाली खेती के संदर्भ में लिखा था, लेकिन झांसी और बुंदलखंड की धरती से वाकई बहुमूल्य वस्तुएं मिलती रहती हैं.
पिछले 2 दशकों में कई बहुमूल्य सिक्के झांसी और आसपास के जिलों से मिले हैं. सूखे और पलायन के लिए बदनाम बुंदेलखंड की जमीन में खजाना खूब मिलता रहा है.
कभी पाइपलाइन की खुदाई तो कभी फ्लाईओवर के लिए पिलर लगाने के दौरान ऐसे सिक्के मिले. इन सभी सिक्कों को प्रशासन के डबल लॉकर रूम में रखा जाता है.
कुछ सिक्कों को झांसी के राजकीय संग्रहालय में भी रखा गया है.
Prized Treasures
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क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एसके दुबे ने बताया कि झांसी और आसपास के जिलों में अक्सर खुदाई के दौरान सिक्के पाए जाते हैं.
अभी तक लगभग 22 हजार सिक्के मिल चुके हैं.यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता था लेकिन खुदाई के दौरान मिलने वाले सिक्कों को कई बार मजदूर और गांव के लोग छुपा लेते हैं.
उन्होंने बताया कि सिक्के अंग्रेजी शासन से लेकर मुगल काल और पाषाण युग तक के हैं. सभी सिक्कों को पहले प्रशासन द्वारा अपने कब्जे में लिया जाता है
उसके बाद संग्रहालय तक पहुंचाया जाता है. जबकि एक सिक्के की कीमत हजारों से लेकर लाखों तक होती है.
वर्ष 2000 में बंगरा ब्लॉक में चांदी के सिक्कों से भरे मटके मिले थे. 2002 में हमीरपुर में सोने और चांदी के कई हजार सिक्के पाए गए थे.
2003 में झांसी शहर में खुदाई के दौरान 501 चांदी के सिक्के मिले थे. इसी वर्ष मऊरानीपुर में भी मुगल काल के सिक्के पाए गए थे.
2004 में महोबा में सोने के सिक्के मिले. 2004 में ही एरच में चांदी के 500 सिक्के मिले थे.
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वहीं, 2006 और 2009 में भी झांसी शहर और मऊरानीपुर में कई जगहों पर सोने व चांदी के सिक्के मिले थे. 2010 से लेकर 2022 तक भी झांसी और आसपास के जिलों में सोने और चांदी के सिक्के मिले थे.
बीते 29 जून 2022 को भी रानीपुर में खुदाई के दौरान कई चांदी के सिक्के मिले थे.
राजकीय संग्रहालय की प्रभारी उमा पराशर ने बताया कि खुदाई के अलावा बहुत से सिक्के लोगों द्वारा संग्रहालय को दान भी किए गए हैं.
इन सभी सिक्कों की कीमत पता करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. इस समिति में पुरातत्व विभाग के अधिकारी और इतिहासकार होते हैं.
राजकीय संग्रहालय की प्रभारी उमा पराशर के मुताबिक, जांच के बाद सिक्कों की फिजिकल वैल्यू और एंटीक वैल्यू तय की जाती है.
एक सिक्का हजार से लेकर लाख रुपए तक का होता है.वर्तमान में ऐसे 22 हजार सिक्के संग्रहालय के पास उपलब्ध हैं.
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