मजदूरों के बच्चों का संवार दिया भविष्‍य future #2022

मजदूरों के बच्चों का संवार दिया भविष्‍य future

मजदूरों के बच्चों का संवार दिया भविष्‍य future

भोपाल। एम्स के निर्माण के दौरान मजूदरी के काम में लगे माता-पिता और पास में ही धूलू और गंदगी में खेलते उनके बच्चे future। एम्स के कुछ फैकल्टी की उन पर रोज नजर पड़ती।

उनके मन में हमेशा ही यह सवाल कौंधता है कि इस वक्त इन बच्चों के हाथ में तो कागज-कलम होना चाहिए। इन बच्चों के future प्रति इनके मन में इतनी संवेदना और अपनापन आ गया कि इन्होंने एम्स परिसर में फैकल्टी के रहने के लिए बनाए गए तीन कमरे एक फ्लैट में ‘अपना’ स्कूल शुरू कर दिया।

future

एम्स के तत्कालीन निदेशक डा. संदीप कुमार ने भी मदद की। करीब सात बच्चों से शुरू हुए स्कूल में अब 25 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि 50 से ज्यादा बच्चों ने यहां पढ़ाई के बाद दूसरे स्कूलों में दाखिला ले लिया है या दूसरे राज्यों में चले गए हैं।

स्कूल को मान्यता दिलाने के लिए बहुत सी ऐसी औपचारिकताओं की जरूरत होती है जो उस जगह पर पूरी नहीं हो सकती थ्ाीं, लिहाजा माउंट कार्मल स्कूल में इन बच्चों का दाखिला करा दिया गया।

मजदूरों के बच्चों का संवार दिया भविष्‍य future
मजदूरों के बच्चों का संवार दिया भविष्‍य future

11 बच्चे यहां पर पढ़ने के लिए जाते हैं। इसके बाद भी बच्चों की future पढ़ाई बेहतर रहे इसके लिए सुबह नौ बजे से 12 बजे तक इनकी अनौपचारिक कक्षाएं ‘अपना” स्कूल में चलती हैं। एमबीबीएस के छात्र व फैकल्टी की तरफ से रखे गए श्ािक्षक इन बच्चों को यहां पढ़ाते हैं।

इसके बाद दोपहर डेढ बजे से पांच बजे तक इनकी कक्षाएं माउंट कार्मल स्कूल में लगती हैं। यहां एक बच्चे की फीस करीब 10 हजार रुपये साल है। इसका खर्च फैकल्टी ही उठाते हैं। अपना स्कूल के बच्चों को विभिन्न त्योहारों में उपहार भी दिए जाते हैं।

लाकडाउन के दौरान कई फैकल्टी ने मिलकर इन बच्चों के माता-पिता को भी खाद्य सामग्री दी। इस काम में लगे फैकल्टी चाहते हैं कि यह बच्चे आगे चलकर एम्स में ही एमबीबीएस की पढ़ाई करें।

छह का ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के लिए हुआ चयन, तीन कर रहे पढ़ाई

अपना स्कूल में इन बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छह विद्यार्थियों का चयन राज्य सरकार द्वारा शुरू किए आवासीय ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल में हो चुका है।

इनमें तीन पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि तीन ने व्यक्तिगत कारणों से छोड़ दिया था।

राशि जुटाने का अनूठा तरीका

इस नेक काम के लिए राशि जुटाने का तरीका भी अनूठा है। सभी फैकल्टी घर में सजावट और खान-पान का सामान, पेंटिग्स आदि बनाते हैं। एम्स में ही प्रदर्शनी लगाकर बेचते हैं।

इसमें खरीदार भी एम्स के फैकल्टी और स्टूडेंट होते हैं। इस प्रयास से हर साल 30 हजार से 40 हजार रुपये एकत्र होते हैं। यह राशि इन बच्चों की पढ़ाई पर खर्च की जाती है।

अपना स्कूल शुरू करने में डा. नीलकमल कपूर, डा. अरनीत अरोरा, डा. बर्था रथिनम, डा. रश्मि चौधरी, डा. दीप्ती जोशी, डा. रतिंदर झा, डा. अश्विन कोटनीस और एम्स फैकल्टी एसोसिएशन का विशेष सहयोग रहा।

वर्जन

एम्स के फैकल्टी ने बहुत सराहनीय काम किया है। बच्चों को future शिक्षा देने और दिलाने के साथ ही उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। मार्गदर्शन करते हैं।

डा. नितिन एम नागरकर

निदेशक, एम्स भोपाल

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